पटनाः बिहार एनडीएए में मंत्री मंडल विस्तार को लेकर सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है. कैबिनेट विस्तार को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच खींचतान चरम पर है. बीजेपी जेडीयू से विधानसभा अध्यक्ष का पद लेने के बाद अब मंत्रियों की संख्या में बढ़ोतरी चाहती है. जिसके वजह से कैबिनेट विस्तर का पेंच फंसा हुआ है.


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दरअसल, बीजेपी का कहना है कि सरकार में मंत्रियों की संख्या हर हाल में ज्यादा होनी चाहिए. भले ही विभागों की संख्या बराबर रहे, लेकिन मंत्रियों की संख्या हर हाल में बीजेपी की ज्यादा हो. इसके अलावा बीजेपी शीर्ष नेतृत्व विधान परिषद की मनोनयन और विधानसभा कोटे की सीटों पर ज्यादा हिस्सेदारी की मांग कर रही है.
मेवालाल दे चुके हैं इस्तीफा
बता दें कि बिहार विधानसभा में सदस्यों की संख्या 243 है. जिसके आधार पर15 फीसद विधायक मंत्री बन सकते हैं. बिहार कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 36 सदस्य शामिल हो सकते हैं. लेकिन फिलहाल नीतीश कैबिनेट में मात्र 14 मंत्री है. जेडीयू से मंत्री बने मेवालाल चौधरी इस्तीफा दे चुके हैं.
22 नये मंत्री की होगी एंट्री
ऐसे में नीतीश कैबिनेट में 22 नए सदस्य शामिल हो सकते हैं. सरकार में अंदरखाने खींचतान का परिणाम है कि हर मंगलवार हाेने वाली कैबिनेट की बैठक तीन सप्ताह से नहीं हो रही है. कई अहम मामलों में निर्णय लंबित हैं. बिहार बीजेपी के इतिहास में पहली बार ऐसा मौका आएगा जब एनडीए में बीजेपी विधानसभा के बाद विधान परिषद में बड़े भाई की भूमिका में आ सकता है.


बीजेपी की अधिक सीटों पर दावेदारी
फिलहाल बिहार विधान परिषद में 18 सीटें खाली हैं. रिक्त सीटों में आठ से 10 सीटें पर बीजेपी की दावेदारी है. जबकि अब तक विधान परिषद के कोटे में बीजेपी को अधिकतम मनोनयन कोटे में पांच सीटें ही हासिल होती आयी है. वहीं, विधानसभा कोटे की बीजेपी की दो सीटें खाली हुई है.
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