14 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है. आचार्य कमलनंद लाल के मुताबिक, इसका पुण्य काल मुहूर्त सुबह 8.30 से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक का है. वहीं, महापुण्य काल का मुहूर्त सुबह 8.30 से 10.15 तक का है. इस अवधि में स्नान और दान-दक्षिणा जैसे कार्य किए जा सकते हैं.


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मकर संक्रांति को महा संक्रांति भी कहा जाता है. इस साल की मकर संक्रांति कई मायनों में खास रहने वाली है. ज्योतिर्विद कमल नंदलाल ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है और मकर राशि में प्रवेश करता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है.
12 अलग-अलग राशियो में भ्रमण करते हैं सुर्य
ज्योतिष में सूर्य को पिता कहा गया है. सूर्य देव एक साल में 12 राशियों में अलग-अलग समय में भ्रमण करते हैं. इस राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है. संक्रांति शब्द संक्रमण से बना है और संक्रमण का अर्थ होता है एक जगह से दूसरी जगह फैलना. सूर्य एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में उजाला कर देता है. सूर्य के इसी राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं.
मंद देवी के रुप में आ रही संक्रांति
2021 में मकर संक्रांति मंद देवी के रूप में आ रही है. इनकी शवारी शेर है और ये बैठी हुई अवस्था में आएंगी. इनका उपवाहन हाथी होगा. इस साल की संक्रांति अपने बाल अवस्था में हैं. इन्होंने सफेद वस्त्र धारण किए हैं और कस्तूरी का इत्र लगा रखा है. इनके हाथ में नाग केसर का फूल है. देवी संक्रांति का वस्त्र गदा होगा और ये सोने के बर्तन नें अन्न खाते हुए आएंगी. मंद नामक देवी संक्रांति का वार मुख उत्तर की और जबकि इनकी दृष्टि उत्तर से ईशान की तरफ होगी. ये दक्षिण दिशा की तरफ गमन करेंगी.


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