पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए आखिरकार बिखर गया है. लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने जेडीयू से तनातनी के बीच एनडीए से अलग होने का फैसला लिया है. एलजेपी जेडीयू के खिलाफ सभी सीटों पर अपना कैंडिडेट उतारेगी. इसका फैसला पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद लिया गया है.


एलजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में सभी नेताओं ने बिहार में एलजेपी और बीजेपी की सरकार बनाने का प्रस्ताव पास किया है. एलजेपी के सभी विधायक पीएम मोदी को और मजबूत करेंगे. बैठक में कोरोना के कारण पशुपति नाथ पारस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक से जुड़े रहे. वहीं, बैठक की अध्यक्षता पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान ने की. इसके अलावा सूरजभान सिंह , सांसद चंदन सिंह, सांसद वीणा देवी , राजू तिवारी, बिहार प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज, काली पांडेय, अब्दुल खालिद भी मौजूद रहे.
पार्टी नेताओं का कहना है कि नीतीश सरकार का सात निश्चय का एजेंडा भ्रष्टाचार का पिटारा है. एलजेपी बिहार सरकार के एजेंडे सात निश्चय के कार्यक्रम को नहीं मानती है. एलजेपी की तरफ से साफ कहा ,गया है कि अगर अगली सरकार बनती है तो ‘बिहार फर्स्ट बिहार फर्स्ट’ विजन डॉक्युमेंट को लागू करेगी. पार्टी का मानना है कि सात निश्चय के सभी कार्य अधूरे रह गए. जो अभी तक कार्य हुए हैं उनका भुगतान भी नहीं हुआ. नीतीश सरकार का सात निश्चय का एजेंडा भ्रष्टाचार का पिटारा है.


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एलजेपी बीजेपी के खिलाफ नहीं उतारेगा उम्मीदवार
एलजेपी ने अभियान को धार देने के लिए वो नारा भी तैयार किया है जो 2018 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में खूब गुंजा करता था. पार्टी का नारा होगा ‘मोदी से बैर नहीं, नीतीश की खैर नहीं.’ यह नारा साफ संकेत देता है कि चुनाव में पार्टी एनडीए में नहीं रहते हुए भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन ही करेगी. बता दें कि एलजेपी ने पहले ही ऐलान किया है कि वो बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारेगी.
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