पटनाः राज्यसभा उपचुनाव के लिए एनडीए के तरफ से एनडीए प्रत्याशीके रुप में पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने नामांकन किया है. महागठबंधन की तरफ से कोई कैंडिडेट नहीं दिया गया है. लेकिन एक निर्दलीय कैंडिडेट ने नामांकन दाखिल कर चुनाव को दिलचस्प बना दिया. हालांकि, अब सुशील मोदी का निर्दलीय चुना जाना तय है.


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दरअसल, उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों की स्क्रूटनी पूरी होते ही सुमो का राज्यसभा निर्विरोध जाना तय माना जा रहा है. उपचुनाव के लिए सुशील मोदी सहित दो उम्मीदवारों ने नामांकन किया था जिनमें एक का नॉमिनेशन टेक्निकल आधार पर रद्द कर दिया गया है. जानकारी के अनुसार उन्हें एक भी प्रस्तावक नहीं मिला.
विधायकों का नहीं मिल सका समर्थन
निर्दलीय कैंडिडेट श्याम नंदन प्रसाद ने बुधवार को एक सेट में नामांकन दाखिल किया था. हालांकि, वनॉमिनेशन के दौरान निर्दलीय कैंडिडेट ने कहा था कि एनडीए और महागठबंधन के विधायकों से बात कर गुरुवार को विधायकों का समर्थन पत्र निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में देंगे. हालांकि, ऐसा करने में वे असमर्थ रहे.
7 दिसंबर को मिलेगा सर्टिफिकेट
बता दें कि राज्यसभा उपचुनाव के लिए नाम वापसी की तिथि 7 दिसम्बर है. दूसरे कैंडिडेट का नामंकन रद्द होने से इसलिए 7 दिसम्बर को ही सुशील मोदी को जीत का सर्टिफिकेट मिल जाएगा. इससे पहले महागठबंधन रामविलास पासवान की पत्नी रीना पासवान को कैंडिडेट बनाने के लिए चिराग को ऑफर किया था.


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चिराग पासवान के इनकार करने से राजद की ओर से दलित नेता श्याम रजक को उतारने की कवायद की गई. निर्दलीय कैंडिडेट के मैदान में उतरने पर महागठबंधन की तरफ से समर्थन के आसार दिख रहे थे. जो कि नॉमिनेशन कैंसिल होने से महागठबंधन की अंतिम आस को भी खत्म हो गई.
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