पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासी सरगर्मी चरम पर पहुंच गई है. सत्ताधारी दल जेडीयू, बीजेपी के अलावे विपक्षी पार्टी कांग्रेस वर्चुअल रैली के जरिए जनता से संवाद कर रही है. हालांकि, आरजेडी ने इससे हट कर जनता से संवाद स्थापित करने की कोशिश की है. लेकिन इस बीच एक नाम इन दिनों चर्चा से गायब है. पीके, जो कभी सियासत में नीतीश के सबसे करीबी थे फिलहाल चुनावी पटल से लगभग गायब हो चुके हैं.


कोरोना संक्रमण काल में नीतीश सरकार को प्रशांत किशोर लगातार घेर रहे थे. लेकिन इन दिनों PK आउट ऑफ प्रेम चल रहे है. जेडीयू में 2 नंबर का ओहदा रखने वाले पीके चुनाव में बिल्कुल अलग-थलग हैं. खासकर, पीके ने सोशल मीडिया से भी दूरी बना रखी है. पीके ने सोशल साइट ट्वीटर पर आखिरी बार 20 जुलाई को ट्वीट किया है.
Those sermonising others about learning to live with the virus MUST NOT downplay the RISK that is REAL and could be quite devastating.
Life with the virus around is feasible but only if we religiously follow the safe behavioural practices and take recommended precautions.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) July 20, 2020
चुनावी समर में पीके हुए गायब
जेडीयू से निलंबित किए जाने के बाद पीके ने नीतीश से लड़ाई लड़ने के लिए बात बिहार की नामक प्रोग्राम चलाने की घोषणा की. पीके के आरजेडी में जाने और एनडीए के खिलाफ रणनीति बनाने की भी खूब चर्चा हुई. लेकिन पीके न तो आरजेडी में गए और न ही किसी पार्टी को उनकी कंपनी ‘आईपैक’ बिहार चुनाव में किसी पार्टी के लिए रणनीति बना रही है. फिलहाल पीके बंगाल चुनाव में व्यस्त है. बिहार के परिदृश्य पीके के गायब रहने से सियासी गलियारों में चर्चा होनी शुरू हो गई है.
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पीके के निशाने पर नीतीश
बता दें कि पीके नीतीश कुमार पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. कोरोना संक्रमण काल में चुनाव कराने को लेकर भी नीतीश सरकार की जमकर आलोचना की है. कोरोना वायरस संकट के बीच बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर सीएम पर निशाना साध चुके हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐसे हालात में चुनाव करवाने के बजाए कोरोना से लड़ाई लड़ने का आग्रह भी किया था.