आईपीएस मनोज शर्मा की सफलता की कहानी जरा हट के है. 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी मनोज शर्मा मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िले के गाँव बिलगाँव के रहने वाले हैं. उनके पिता ओम प्रकाश शर्मा विकास अधिकारी हैं.


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मनोज के घर में थोड़ा बहुत पढ़ाई का माहौल था, लेकिन अपने गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ाई शुरू करने वाले इस आईपीएस मनोज का दिल पढ़ाई में नहीं लगता था. में नोज गांव में भैसें चराने के साथ पढ़ाई की बजाय नॉवेल पढ़ते. नौवीं, दसवीं में थर्ड डिवीज़न आया लेकिन वो 12वीं में फेल हो गए. हिंदी छोड़कर हर सब्जेक्ट में उन्हें असफलता हाथ लगी.
मजाक का बन गए थे पात्र
गांव में अपनी भैसें चराने के दौरान कोर्स की किताबों की बजाय नॉवेल पढ़नेे वाले मनोज को बुरी तरह से फेल होने पर बड़ा झटका लगा. लोगों ने गांव में उनका जमकर मजाक उड़ाया. फिर क्या उन्होंने एकाग्रचित होकर पढ़ने का मन बनाया. अगले ही साल 12वीं की परीक्षा 70 प्रतिशत अंकों के साथ पास की.
मुश्किल में गुजारे दिन
मनोज इसके बाद कॉलेज पहुंचे और वहां भी टॉप कर दिखाया. लेकिन मुश्किलें तो अब शूरू होने वाली थी. ग्वालियर में यूपीएससी की तैयारी करने के दौरान आर्थिक दिक्कत आयी. कभी सड़क पर ही सो जाते. लोग खाना दे दें इसलिए वह भिखारियों के साथ ही सो जाते थे. आर्थिक दिक्कतों की वजह से उन्होंने ऑटो तक चलाया. हालांकि, लाइब्रेरी में काम मिलते ही कुछ रुपए आने लगे.
ट्वेल्थ फेल नाम की आई है किताब


चौथी बार में बने आईपीएस
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