बिहार सरकार द्वारा कई ऐसी चीजों पर काम किया जा रहा है, जिसकी वजह से महिलाओं के ऊपर होने वाले अपराध को कम किया जा सके। इसी क्रम में अब बिहार सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसके बाद अब वार्ड सदस्य और पंचायत की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
बिहार सरकार में पंचायत राज मंत्री सम्राट चौधरी ने महिलाओं के ऊपर होने वाले अपराध और बाल विवाह की समस्याओं पर बात करते हुए कहा कि यह एक ऐसी समस्या है, जिसके बारे में हम आज भी सुनते हैं। इसे रोकने की काफी कोशिश करते हैं। परंतु फिर भी कोई ना कोई ऐसी घटना हो जाती है, इसलिए अब सरकार ने फैसला किया है कि जो भी व्यक्ति बाल विवाह के होने के बारे में जानकारी देगा उसे पुरस्कार मिलेगा।
वही बाल विवाह और दहेज प्रथा गंभीर सामाजिक बुराई है। जिसे दूर किये बिना सशक्त समाज की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। बाल विवाह मानवीय अधिकारों का उल्लंघन है। प्रत्येक बच्चे को एक पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रूप में विकसित होने का अधिकार होता है, जो बाल विवाह की वजह से क्षत-विक्षत हो जाता है।
कम उम्र में विवाह से संविधान द्वारा प्रदत्त शिक्षा के मौलिक अधिकार का भी हनन होता है। शादी की वजह से बहुत सारे बच्चे अनपढ़ और अकुशल रह जाते हैं। जिससे उनके सामने अच्छे रोजगार पाने और बड़े होने पर आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की ज्यादा संभावना नहीं बचती है।
इसी वजह से बाल विवाह को रोकने, दहेज प्रथा उन्मूलन को लेकर पंचायतों एवं उनके प्रतिनिधियों को सरकार ने आवश्यक निर्देश दिये हैं।
बाल विवाह से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर मुखिया द्वारा इसकी त्वरित सूचना प्रखंड विकास पदाधिकारी (सहायक बाल विवाह निषेध पदाधिकारी) तथा अनुमंडल पदाधिकारी (बाल विवाह निषेध पदाधिकारी) को देते हुए बाल विवाह को रूकवाने का काम करेंगे। दहेज लेन-देन से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर जिला कल्याण पदाधिकारी (दहेज प्रतिषेध पदाधिकारी) को सूचित करते हुए कार्रवाई से अवगत करायेंगे।