Bihar News : नीतीश सरकार प्रदेश में पर्यटन बढ़ाने और उसका प्रचार प्रसार करने का लगातार प्रयास कर रही हैं, ऐसे में एक और टाइगर रिजर्व बनाने का फैसला सरकार ने लिया हैं। बोधगया राजगीर जैसे ऐतिहासिक स्थलों पर 2 पर्यटकों की काफी अच्छी खासी संख्या पहुंच रही है। लेकिन अब राज्य में प्राकृतिक स्थलों को भी पर्यटन के लिहाज से विकसित करने की बात चल रही है। कैमूर अभयारण्य को बिहार का दूसरा टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा।
Bihar News : ज़रूरी प्रक्रिया हुई पूरी
ऐसे में इसके लिए जरुरी सारि प्रक्रिया पूरी कर ली गई हैं, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग करीब 75 फीसदी प्रक्रिया पूरी कर चुका है। राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण के निर्देश पर कैमूर जंगल की मैपिंग कर बफर जोन और कोर जोन तय कर लिया गया है। जल्द ही विभाग इसकी सूची एनटीसीए को भेजेगा। बफर जोन में 18 गांव भी है। सभी गांव को सुरक्षित रखा गया है। ग्रामीण शिफ्ट नहीं होंगे।
बिहार सरकार लगातार टूरिजम को लेकर बड़े फैसले ले रही हैं, बता दें कि सूची मिलने के बाद एनटीसीए की टीम कैमूर अभयारण्य का जायजा लेने के लिए पहुंचेगी। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मुताबिक कैमूर जंगल टाइगर रिजर्व के सारे मानकों को पूरा करता है। अभी अभयारण्य में कौन-कौन से जानवर हैं, कितनी संख्या में हैं, इसका सर्वे चल रहा है। यह सर्वे अगले माह फाइनल हो जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि 6 माह में एनटीसीए कैमूर अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित कर देगा।
सरकार ने ये फैसला पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में लिया हैं, ऐसे में यह पहले टाइगर रिजर्व यानी वाल्मीकिनगर स्थित टाइगर रिजर्व से दोगुना बड़ा होगा। कैमूर जंगल करीब 1800 वर्ग किमी में फैला है, जबकि वाल्मीकिनगर टाइग रिजर्व 900 वर्ग किमी में फैला है। कैमूर अभयारण्य में अभी 50-70 बाघों के प्रबंधन की क्षमता है। वहीं, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में अभी 40 से अधिक बाघ हैं।