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Mahavir Mandir Patna : पटना के महावीर मंदिर में कोरोना काल के बाद से एक बाद फिर श्रद्धालुओं की भारी तादात इकट्ठा होने लगी है। इसी के साथ प्रसाद के रूप में नैवेद्यम लड्डू के विक्रय में भी बढ़त्तरी दर्ज की गयी है। गौरतलब है कि पटना के महावीर मंदिर में जो भी भक्तगण पूजा पाठ करने आते हैं, वे प्रसाद के रूप में नैवेद्यम लड्डू खरीदकर महावीर जी को चढ़ाते हैं। कोरोनाकाल में नैवेद्यम लड्डू की बिक्री में कमी आई थी। हालांकि, अब महामारी के प्रभाव में थोड़ी कमी आने के बाद भक्त बड़ी संख्या में इस मंदिर में दर्शन के लिये आ रहे हैं और नैवेद्यम लड्डू की बिक्री भी खूब हो रही है।

खबरों की मानें तो महावीर मन्दिर में नैवेद्यम की रिकॉर्ड बिक्री हुई है। अप्रैल-मई में पहली बार 1 लाख किलो मासिक से अधिक नैवेद्यम लड्डू की बिक्री हुई। यही नहीं मंदिर में आने वाले भक्तों द्वारा दान पेटी में दान की राशि भी डेढ़ गुना हो गई है।
दरअसल कोरोनाकाल के बाद महावीर मन्दिर खुलने के बाद भक्तों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। पहले मंगलवार को इस मंदिर में जितनी भीड़ होती थी, उतनी भीड़ शनिवार और रविवार को भी होने लगी है। सामान्य रूप से मन्दिर में मार्च, अप्रैल, मई एवं जून महीने में सबसे अधिक भीड़ होती है। यही वजह है कि नैवेद्यम की बिक्री भी इसी दौरान बढ़ जाती है।

Mahavir Mandir Patna

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Mahavir Mandir Patna : पहली बार नैवेद्यम की बिक्री एक लाख किलो से भी अधिक

मंदिर का इतिहास कहता है कि यहां पहली बार नैवेद्यम की बिक्री एक लाख किलो से भी अधिक प्रति माह हुई है। अप्रैल में नैवेद्यम की कुल बिक्री 1,18,946 किलो हुई और मई महीने में यह 1,16,698 किलो हुई। जून में भी 15 दिनों में यह बिक्री 58,822 किलो हुई है। यानी जून के पहले 15 दिनों में भी यही क्रम रहा। इस हिसाब से जून महीने में भी एक लाख किलो से अधिक की बिक्री की संभावनाएं मंदिर प्रशासन लगा रहा है। तिरुपति बालाजी मन्दिर के बाद देश के किसी मन्दिर में लड्डू की सबसे अधिक बिक्री महावीर मन्दिर (Mahavir Mandir Patna) में होती है और वह भी एक केन्द्र से।

इसी प्रकार, भेंट-पत्रों में डाली गयी राशि में भी वृद्धि हुई है। पहले यह राशि एक लाख रुपये प्रतिदिन के हिसाब से आती थी, लेकिन पिछले ढाई महीनों में यह राशि कुल 1,12,73,713/- रुपये प्राप्त हुई है, जो प्रतिदिन के हिसाब से 1,48,338/- रुपये है। यह अवधि ऐसी है, जब भक्तों की संख्या सबसे अधिक होती है और लड्डू की बिक्री सर्वाधिक होती है।

इसी प्रकार, इस अवधि में सबसे अधिक कर्मकाण्डीय पूजा-पाठ होते हैं। पिछले ढाई महीनों में कर्मकाण्ड के सभी मदों में कुल 96,67,178/- रुपये की राशि प्राप्त हुई है, जिसमें केवल रुद्राभिषेक में 20,68,823/- रुपये का शुल्क प्राप्त हुआ है। यह देश का शायद एक मात्र मन्दिर है, जहां रसीद कटाने के बाद भक्त को पूजा-सामग्री या दक्षिणा पर एक भी पैसा खर्च नहीं करना पड़ता। महावीर मन्दिर अपनी आय का 4 प्रतिशत बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड को शुल्क में देता है और इस बार आशा की जा रही है कि यदि कोरोना के कारण लॉकडाउन नहीं लगा या लम्बा आन्दोलन नहीं चला तो महावीर मन्दिर बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड को करीब एक करोड़ रुपये शुल्क के रूप में देगा।

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