Patna Airport : फ्लाइट्स उड़ाना और एयरपोर्ट पर फ्लाइट्स की लैंडिंग कराना काफी गंभीर कार्य है। इस कार्य में पायलटों को काफी बातों का ध्यान रखना होता है। ऐसे में अगर लैंडिंग के लिये हवाईअड्डे का रनवे ही योग्य ना हो तो ये काम काफी खतरनाक हो जाता है। एक फ्लाइट में कई यात्री सवार होते हैं, जिनकी सुरक्षा का दायित्व पायलट पर होता है।
मिली जानकारी के अनुसार पटना एयरपोर्ट लैंडिंग के लिहाज से बेहद खतरनाक माना जाता है। एक तो इसका रनवे छोटा है और ऊपर से आस-पास चिड़ियाघर और पेड़ों के होने से भी लैंडिंग में दिक्कत आती है। इसके अलावा एक और मुख्य वजह है आवश्यकता के अनुरूप एप्रोच लाइट का उपलब्ध ना हो पाना।
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Patna Airport : अब तक महज 420 मीटर की दूरी में ही एप्रोच लाइट लगायी जा सकी
लैंडिंग में होने वाली परेशानी को कम करने के लिए तीन वर्ष पहले 720 मीटर लंबी एप्रोच लाइट और उसके साथ इंस्ट्रुमेंट लैंडिंग सिस्टम (आइएलएस) लगाने का निर्णय लिया गया था। इसमें 400 मीटर एयरपोर्ट परिसर और 320 मीटर पटना जू के भीतर एप्रोच लाइट लगायी जानी थी, लेकिन, अब तक महज 420 मीटर की दूरी में ही एप्रोच लाइट लगायी जा सकी है।
गौरतलबै है कि दिन की तुलना में रात को फ्लाइट्स की लैंडिंग करना काफी मुश्किल काम होता है। एप्रोच लाइट के 300 मीटर कम लगने की वजह से पटना एयरपोर्ट पर लैंडिंग में पायलट को काफी परेशानी होती है और दिन की तुलना में रात में यह और भी अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि एप्रोच लाइट के सहारे ही रात में पायलट रनवे की स्थिति का अनुमान लगाता है।
720 मीटर एप्रोच लाइट के लग जाने और इंस्ट्रूमेंटल लैंडिंग सिस्टम के इंस्टॉलेशन से पटना एयरपोर्ट पर लैंड होने वाले विमानों के पायलटों को दूर से ही रनवे दिखने लगेगा और उसके अनुरूप वे अपने विमान को ग्लाइडिंग एंगल दे पाते। इससे न केवल पायलटों को लैंडिंग में सुविधा होती, बल्कि वह महज 700 मीटर की दृश्यता में विमानों को उतार पाते। कम संख्या में एप्रोच लाइट लगने की वजह से कोहरे और धुंध के मौसम में पटना एयरपोर्ट पर 1000 मीटर दूरी तक दृश्यता जरूरी होती है। ऐसे में कई फ्लाइट्स को रद्द करना पड़ता है।