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भारत समेत कई देशों से काम करने के लिए कामगार खाड़ी देशों में जाते हैं। काम के लिए उनसे कॉन्ट्रैक्ट कराया जाता है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से कामगार को काम नहीं किया जाता है। कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से कामगार को पैसे और सुविधाएं नहीं दी जाती है। इसी बाबत Ministry of Human Resources and Social Development (MHRSD) के Assistant Undersecretary, Eng. Faisal Al-Dhafyan ने कहा है कि अगर कामगार को कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से सैलरी नहीं मिलती है तो वह केस दर्ज करा सकता है।

सऊदी मंत्री ने कहा है कि कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से नियोक्ता और कामगार दोनों को कानूनी अधिकार दिया जाता है। अगर कामगार को किए गए वादे और कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से सैलरी नहीं दिया जाता है तो वह शिकायत कर सकता है। कामगार और नियोक्ता बीच हुए कॉन्ट्रेक्ट के हिसाब से काम और सैलरी दी जाए। उन्हें आपसी विवाद खुद से ही सॉल्व कर लेना चाहिए। हालांकि, मामला अगर नहीं सुलझता है तो लेबर कोर्ट की मदद लेनी चाहिए। कामगार को कॉन्ट्रैक्ट देना जरूरी है। इस तरह से कामगार और नियोक्ता दोनों के अधिकारों की रक्षा होगी !

वहीँ सऊदी अरब ने देश के कंसल्टेंसी बिज़नेस में 40 फ़ीसदी स्थानीय लोगों को नौकरी देने का फ़ैसला किया है. मानव संसाधन और सामाजिक मंत्रालय ने कहा है कि आने वाले नए साल 2023 के 6 अप्रैल तक 35 फ़ीसद और उसके अगले साल 25 मार्च 2024 तक 40 फ़ीसद करने का फ़ैसला किया है.
इस फ़ैसले का असर कई क्षेत्रों पर पड़ने का अनुमान है.

ख़ास कर वित्त सलाहकार एक्सपर्ट, बिज़नेस सलाहकार एक्सपर्ट, साइबर सुरक्षा सलाहकार एक्सपर्ट, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट मैनेजर, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट इंजीनियर, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट विशेषज्ञ जैसे क्षेत्रों पर इसका सीधा असर पड़ने का अनुमान लगाया गया है. जहां एक ओर इससे सरकारी नौकरी में स्थानीय लोगों के लिए अवसर बढ़ने की उम्मीद है. वहीं जानकारों की नज़र में इसके तात्कालिक फ़ायदे नहीं होंगे.

आखिर क्यों सऊदी अरब में स्थानीय लोगों को 40 फ़ीसद नौकरी सुनिश्चित करने के लिए कहा जा रहा है, इसके पीछे एक खासा कारण है मगर वो जानने से पहले आप हमारे पेज को फॉलो कर लीजिये ताकि हमारे द्वारा दी गयी हर छोटी से छोटी खबर आपको पहुँचती रहे

सऊदी अरब के वित्त मंत्री मुहम्मद अल-जादान ने कंसल्टेंसी सेवाओं की शर्तों में संशोधन का मंत्रिस्तरीय फ़ैसला जारी किया जिसमें कंसल्टेंसी कंपनियों में स्थानीय लोगों को 40 फ़ीसद नौकरी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है. सऊदी कंपनियों पर लंबे समय से दबाव बनाया जा रहा है कि वो विदेशी कामगारों की जगह सऊदी नागरिकों को नौकरी में रखें.

बीते कुछ वर्षों के दौरान देश की अर्थव्यवस्था में अहम बदलाव कर रहे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने अपने एजेंडे में बेरोज़गारी दर को घटाकर 2030 तक सात फ़ीसद पर लाने का लक्ष्य रखा है. सलमान आर्थिक वृद्धि दर में गति लाना चाहते हैं और अपने नागरिकों के लिए नई नौकरियां पैदा करना चाहते हैं. स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में नौकरी भी इसी का हिस्सा है.

वैसे विदेशियों को नौकरी देने के मामले में सऊदी अरब का अमेरिका, रूस और जर्मनी के बाद दुनिया में चौथा स्थान है. यहां 70 लाख से अधिक प्रवासी प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं. सऊदी के 68 फ़ीसद घरों में घरेलू श्रमिक काम करते हैं. यानी की करीब 10 लाख ! 2017 में घरेलू श्रमिकों के लिए वीज़ा में 14 फ़ीसद का इजाफ़ा किया गया था और उसके बाद से ही इतने मज़दूरों का इजाफा हुआ है!

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