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PATNA: पटना के राजीव नगर में बुलडोज़र मामले में डीएम का बयान सामने आया है। DM चंद्रशेखर सिंह ने मामले को लेकर कहा है कि हमने 3 बार नोटिस दिया है। हम 40 एकड़ ज़मीन अपने कब्ज़े में लेंगे और जो भी इसमें व्यवधान डालेंगे उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करेंगे। हमने पत्थरबाजी और आगजनी के मामले में करीब 1 दर्जन लोगों को गिरफ़्तार किया है।

वहीं स्थानीय लोग ज़मीन को लेकर कई दावे कर रहे हैं कि इसकी रजिस्ट्री हमनें कोलकाता से कराई है और हमारे पास बिजली कनेक्शन के साथ-साथ वोटर आईडी कार्ड भी है। इसपर डीएम चंद्रशेखर सिंह ने कहा है कि बिजली कनेक्शन और वोटर आईडी वैधता का प्रमाण पत्र नहीं होता। बिजली कनेक्शन मूलभूत सुविधा में आती है। अगर उनके पास ज़मीन के कागज़ नहीं भी हैं उसके बाद भी हमें यह सुविधा उपलब्ध करानी होती है। इन्होने सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा कर मकान बना लिया था, जिसे हर हाल में तोड़ा जाएगा।

आपको बता दें, पटना के राजीव नगर थाना अंतर्गत नेपाली नगर (दीघा) के इलाके में 70 मकानों को ध्वस्त करने के लिए भारी संख्या में पुलिस की टीम 14 बुलडोजर के साथ पहुंची, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने जमकर इसका विरोध किया। इस दौरान पुलिस टीम पर पत्थरबाजी भी किया गया, जिसमें सिटी एसपी सहित कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। डीएम ने कहा है कि कुछ उपद्रवियों द्वारा यहां उत्पात मचाया गया है, जिसमें 1 दर्जन लोगों की गिरफ्तारी कर ली गई है। आगे भी CCTV फुटेज के माध्यम से उपद्रवियों को चिन्हित किया जा रहा है।

चलिए पूरा माजरा जानिए विस्तार से

बिहार की राजधानी पटना के राजीवनगर थाना अंतर्गत नेपाली नगर, दीघा के इलाके में अतिक्रमण के खिलाफ बड़ा अभ‍ियान रविवार की सुबह शुरू किया। यहां विरोध को देखते हुए करीब चार थानों की पुलिस के साथ दो हजार पुलिस फोर्स आसपास के इलाके में भी तैनात की गई है। प्रशासन फिलहाल करीब 20 एकड़ में बने 70 मकानों को तोड़ने की कार्रवाई कर रहा है। लेकिन, यह पूरा विवाद करीब 1024 एकड़ जमीन का है, जिस पर अब सैकड़ों मकान बन चुके हैं। इन मकानों में नेता, मंत्री, जज और आइएएस, आइपीएस के भी ठिकाने शामिल हैं। यहां हम आपको पूरे विवाद के बारे में विस्‍तार से जानकारी देंगे।

1974 से चल रहा है ये विवाद

दीघा- राजीव नगर जमीन विवाद 1974 से ही चल रहा है। आवास बोर्ड ने 1974 में दीघा के 1024 एकड़ में आवासीय परिसर बसाने का निर्णय लिया था। इसके लिए बोर्ड की ओर से जमीन भी अधिग्रहित की गई, परंतु अधिग्रहण में भेदभाव और मुआवजा नहीं देने के मामले को लेकर विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने भी आवास बोर्ड को जमीन अधिग्रहण में भेदभाव दूर करने एवं किसानों को सूद सहित मुआवजा देने का निर्देश दिया, जिस पर आवास बोर्ड ने आज तक अमल नहीं किया।

किसानों ने शुरू की जमीन की खरीद बिक्री

परिणाम स्वरूप किसानों ने निजी हाथों में जमीन की खरीद बिक्री शुरू कर दी। यहीं से दीघा, राजीव नगर का विवाद लगातार बढ़ते गया। वर्तमान में 1024 एकड़ में लगभग 10,000 से ज्यादा मकान बन चुके हैं। राजीव नगर, नेपाली नगर इसी परिसर में अवस्थित है।

कई दूसरी संस्‍थाओं को दी गई जमीन

आवास बोर्ड ने अध‍िग्रहित आवासीय भूखंडों को राजीव नगर थाना, पुलिस रेडियो तार एजेंसी, सीआरपीएफ , एसएसबी, सीबीएसई सहित कई एजेंसियों को आवंटित कर दिया। स्‍थानीय लोग इसे नियम के विरोध में बताते हैं। उनका कहना है कि आवास बोर्ड किसी आवासीय परिसर के लिए जमीन अधिग्रहित करता है और उन्हीं को आवंटित करता है।

दो हजार में अध‍िग्रहण, अब एक लाख के करीब कीमत

किसानों का कहना है कि दीघा जमीन अधिग्रहण ₹2000 प्रति कट्ठा किया गया था, परंतु वर्तमान में ₹93 लाख रुपए बेचा जा रहा है। यह किसानों के साथ घोर अन्याय है। दीघा के पूर्व मुखिया एवं किसान नेता चंद्रवंशी सिंह का कहना है कि अगर 93 लाख रुपए के हिसाब से किसानों को मुआवजा दिया जाए तो कोई परेशानी नहीं होगी । लेकिन आवास बोर्ड मुआवजा देना नहीं चाहता और जमीन पर जबरन कब्जा कर रहा है। उनका कहना है कि बोर्ड सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी नहीं मान रहा है। कोर्ट ने कहा था अधिग्रहण संबंधी सभी भेदभाव तत्काल दूर किए जाएं। लेकिन आज तक आवास बोर्ड में हुई भेदभाव दूर नहीं किया ।

आइएएस अफसर की जमीन बनी व‍िवाद की वजह

मामला आइएएस अध‍िकारी आरएस पांडे की जमीन को लेकर था। आवास बोर्ड ने 1024 एकड़ में से 4 एकड़ जमीन मुक्त कर दिया था जो बीच परिसर में पढ़ता था। इसी को दीघा के किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। दीघा के किसानों का कहना था कि जिस तरह एक आईएएस ऑफिसर का भूखंड अधिग्रहण मुक्त रखा गया है उसी तरह किसानों की जमीन भी अधिग्रहण मुक्त की जाए, परंतु आवास बोर्ड किसानों की बात नहीं मानी और धीरे-धीरे विवाद बढ़ता गया।

भूमि‍ बचाओ संघर्ष मोर्चा कर रहा है विरोध

वही दीघा भूमि बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्री नाथ सिंह का कहना है कि राजीव नगर, नेपाली नगर, केसरी नगर के लोगों ने दीघा के किसानों से जमीन खरीदी है । इसके बाद उन्होंने उस पर आवास बनाया है। प्रशासन द्वारा उसे तोड़ना कतई उचित नहीं है। उन्होंने कहा इस मामले को लेकर कोर्ट जाएंगे। पहले से ही पटना हाईकोर्ट में कई याचिकाएं पड़ी हुई है। इस पर सुनवाई होना बाकी है।

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