बिहार के कृषि मंत्री ने दिया इस्तीफा. क्या रही वो बड़ी वजहें। इसके पीछे की पूरी कहानी। और अब आगे क्या. जानने के लिए पढ़े पूरा खबर.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी के बाद कृषि मंत्री और राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह ने कृषि विभाग से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने रविवार को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अपना इस्तीफा भेज दिया। जगदानंद सिंह ने उनके इस्तीफे की पुष्टि करते हुए कहा कि सुधाकर सिंह ने किसानों के प्रश्न को उठाया है लेकिन सिर्फ प्रश्न उठाने से कुछ नहीं होता है, उसके लिए त्याग भी करना पड़ता है। बलिदान देना पड़ता है। हम नहीं चाहते हैं कि कोई लड़ाई आगे बढ़े। सरकार अच्छी तरह से चले इसके लिए सुधाकर सिंह ने इस्तीफा दे दिया है।
सुधाकर सिंह ने गत 16 अगस्त को नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री की शपथ ली थी। महज 48 दिनों तक ही मंत्री रहने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया है।
आइए जानते हैं, आखिर वो बड़ी वजहें कौन-कौन सी थीं, जिस वजह से सुधाकर सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया…
दरअसल, पिछले कुछ दिनों से अपने बयानों को लेकर सुधाकर सिंह काफी चर्चा में थे। यही नहीं, उनका बयान सरकार को भी असहज करता रहा। उन्होंने कृषि विभाग पर न सिर्फ भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, बल्कि, इसे सार्वजनिक मंचों से भी कई बार उठाया। उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को चोर बताया और खुद को उनका सरदार। उनके इस बयान के बाद सरकार के साथ-साथ राजद-जदयू दोनों ही सकते में थे। उन्होंने विभागीय बैठकों में भी अधिकारियों को कई दफा फटकार लगायी। सुधाकर सिंह कृषि मंत्री बनने के बाद भी सरकारी कार का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे। न ही सरकारी आवास में रह रहे थे। वे अपने भाई के साथ रह रहे थे और अपने निजी कार का प्रयोग करते थे। उनकी गाड़ी पर मंत्री का बोर्ड भी नहीं लगा था।
पार्टी ने बयानबाजी पर लगायी थी रोक
हाल में कई राजद नेताओं के विवादास्पद बयान चल रहे थे। इससे बाद पार्टी नेतृत्व की ओर से शनिवार को ऐसे बयानों पर रोक लगायी गयी थी। इससे पहले विधायक दल की बैठक में भी नेताओं को ऐसे बयान से परहेज करने की नसीहत दी गयी थी। बयान के लिए सिर्फ तेजस्वी यादव अधिकृत किए गए थे।
धान घोटाले में भी आया नाम
मंत्री बनने के बाद अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे सुधाकर सिंह का नाम धान के बदले चावल की आपूर्ति से जुड़े घोटाले में भी आया। इस मामले में वह कानूनी फेर में भी पड़ चुके हैं। प्रमादी मिलर से जुड़े रामगढ़ थाना के एक केस में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। बाद में उन्हें जमानत मिल गई। ये घोटाले वित्तीय वर्ष 2011-12, 2012-13 और 2013-14 के दौरान हुई थी।
चलिए आपको सुधाकर सिंह के दिए चर्चित बयान एक बार बताते हैं।
– कृषि विभाग के अफसर चोर हैं और मैं उनका सरदार हूं –
– बीज निगम के बीज फर्जी, 200-250 करोड़ का बीज तो निगम ही खा जाता है
– माप-तौल विभाग सिर्फ वसूली विभाग है, इसके अधिकारी-कर्मचारी मिले तो जूतों से पीटिएगा
– कृषि रोड मैप बेकार, इससे किसानों को कोई लाभ नहीं हुआ। उनकी आमदनी बढ़ी न कृषि उत्पादन
– कृषि विभाग में भ्रष्टों का जमावड़ा, मेरा पुतला जलाते रहिए
कैसे दिखा तनाव
– कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग को लेकर उनके बयान की चर्चा की तो सुधाकर बैठक से चले गए। सीधे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से मुलाकात कर उनसे बात की। बाहर निकलकर लालू प्रसाद को खुद का नेता बताया।
– मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कृषि विभाग की समीक्षा बैठक की तो उसमें सुधाकर सिंह बतौर कृषि मंत्री शामिल नहीं हुए। विभाग के प्रधान सचिव व अन्य अधिकारी ही बैठक में उपस्थित हुए।
– विवाद के बाद कैबिनेट की बैठकों में भी वे अधिक बातचीत नहीं करते थे।
नीतीश सरकार में अब केवल 31 मंत्री
नीतीश सरकार में अब केवल 31 मंत्री रह गए हैं। इसमें मुख्यमंत्री समेत जदयू के 12 और उपमुख्यमंत्री समेत राजद के 16 मंत्री रह गए हैं। नियमानुसार प्रदेश में 36 मंत्री हो सकते हैं। इस समय 5 मंत्रियों के पद रिक्त हैं।
विधायिका को कमजोर करने की परिणति है कृषि मंत्री का इस्तीफा : विजय सिन्हा
बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के इस्तीफे को विधायिका को कमजोर करने की परिणति करार दिया है। कहा कि सिद्धांतविहीन राजनीति का गठबंधन बिहार में हुआ है। आरोप लगाया कि प्रारंभ से ही विधायिका को कमजोर करने और भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देने की नियति रही है। यह भी कहा कि कृषि मंत्री ने अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर सवाल उठाया था। इसके बाद भी सरकार ने उनके आरोपों की जांच तक नहीं कारवाई। आरोप लगाया कि दो माह में मंत्रिमंडल के दो सदस्यों का इस्तीफा देना ही मुख्यमंत्री जी के सुशासन और जनताराज का कमाल है।
आगे क्या
सुधाकर सिंह ने बताया कि मैंने अपना इस्तीफा अपने नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को भेज दिया है। वहां से क्या प्रतिक्रिया आती है, उसके बाद ही मीडिया के समक्ष अपनी बात रखेंगे। सुधाकर सिंह का इस्तीफा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेजने के बाद वे उसे स्वीकार कर राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेजेंगे। वहां राज्यपाल की मंजूरी के बाद उनका इस्तीफा विधिवत स्वीकार्य हो जाएगा और उनका पद रिक्त हो जाएगा।