Financial Grant For Fisheries : पूर्वांचल क्षेत्र में किसानों को परंपरागत खेती-बाड़ी से अलग मत्स्य पालन में ज्यादा मुनाफा हो रहा है, जिस वजह से पिछले कुछ वर्षों में किसान मत्स्य पालन की ओर ज्यादा दिलचस्पी दिखाने लगे हैं। वाराणसी सहित चंदौली और गाजीपुर के किसान भी मत्स्य पालन कर अधिक लाभ ले रहे हैं।
पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत महिला किसान भी अब तालाब खुदवा कर मत्स्य पालन की ओर तेजी से रूख कर रही हैं। बता दें कि फिश फरामार्ट प्रोड्यूसर कंपनी में डेढ़ सौ सदस्य हैं। इसमें एक दर्जन महिलाओं के नाम से तालाब की खुदाई हुई है, जिसमें फायदे के रूप में सब्सिडी के तौर पर एक लाख रुपए मिले हैं।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत साहिबगंज विकास भवन में 50 तालाब खोदे जा चुके हैं। वहीं, बनारस में इस योजना से जुड़े किसानों ने आठ, गाजीपुर में चार और चंदौली में 38 तालाब खुदवाए हैं। दूसरी ओर पुरूष आवेदक को प्रति बीघा अनुदान के रूप में 70 हजार रुपए मिल रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये आवेदकों को योजना की वेबसाइट पर जाकर अप्लाई करना होता है।
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Financial Grant For Fisheries : एक बीघे में 40-50 क्विंटल मछलियां पैदान होती हैं
पियासी बाहरी मछली है। इसमें किसानों को अत्यधिक फायदा होता है, लेकिन पिछली दफा नुकसान होने की वजह से इस बार पियासी मछली का पालन किसानों ने कम कर दिया है। इस बार एक मछली प्रति किलो 125 रुपए है। पिछली दफा यह रेट 80 रुपए तक पहुंच गया था। किसान कहते हैं कि एक सीजन में एक बीघे में 40-50 क्विंटल मछलियां पैदान होती हैं।
वाराणसी में बिहार के रोहतास, कैमूर और सासाराम से मछलियां पहुंचायी जाती है। इसके साथ ही आंध्र प्रदेश से भी यहां मछलियां आती हैं। इस बार पियासी में कमी एवं देसी मछलियों के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। देसी मछली में कतला, ग्रास, रोहू और रूपचंदा शामिल है। यह साल में एक बार उत्पादित होती हैं, जबकि पियासी मछली साल में दो बार तैयार होती है। तीनों जनपद में तकरीबन 1,000 किसान मत्स्य पालन से जुड़ चुके हैं।