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News : कहा जाता हैं की जो दिन में सपने देखते हैं वो जज्बाती होते हैं, उनके अंदर कुछ कर दिखाने का जज्बा होता हैं। कई बड़े घर के युवा जो कर नहीं पाते वो छोटे घर के बच्चे कर दिखा रहे हैं। हर कोई कुछ न कुछ बनने का सपना जरूर देखते हैं लेकिन इनमे भी कुछ लोग अपने हालतों का रोना रोते बैठते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन में अच्छे से सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे लोग आपके जीवन में दिखाई देते हैं जो ठान ले वो कर के दिखाई देते हैं।

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News : छोटे घरो के बच्चे बनते है उदाहरण

कई छोटे घर के बच्चे ऐसे दुनिया के सामने अपना एग्जाम्पल सेट करते हैं जो इतिहास जमा होते हैं, मेहनत करते हैं और अपने सपनों को पूरा करने की जिद में लग जाते हैं। फिर तो सफलता हासिल करने के बाद ही दम लेते हैं। कुछ ऐसा ही सपना एक सब्जी का ठेला लगाने वाले युवक ने भी देखा था। वो जज बनकर लोगों को न्याय दिलाना चाहता था। इसके लिए वो दिन भर सब्जी का ठेला लगाता और रात में पढ़ाई करता था।

फिर उसने जज बनने की परीक्षा दी और जब रिजल्ट आया तो उसके खुशी के आंसू छलक पड़े। आइए जानें पूरी खबर क्या है। संघर्ष के बाद सफलता की ये कहानी मध्य प्रदेश के सतना जिले से सामने आई है। यहां एक सब्जी का ठेला लगाने वाले ने वो कमाल कर दिखाया, जो अच्छे अच्छे लोग नहीं कर पाते हैं। अमरपाटन में रहने वाले शिवाकांत कुशवाहा एक गरीब परिवार से हैं। उनके पिता का नाम कुंजी लाल था और वो मजदूरी करके परिवार चलाते थे।

पिता की मजदूरी से काम नहीं चलता था तो मां ने भी मजदूरी करना शुरू कर दिया। जैसे तैसे घर का राशन आ पाता था। दिन भर मजदूरी करने के बाद उनके परिजन सब्जी बेचते तब दो बार के राशन का जुगाड़ हो पाता था। इसी बीच परिवार को धक्का तब लगा जब साल 2013 में उनकी मां शकुन बाई का कैंसर से निधन हो गया। शिवाकांत पढ़ाई में अच्छे थे। इसी वजह से उन्होंने पढ़ना जारी रखा। घर की जिम्मेदारी संभालने के लिए वो सब्जी का ठेला लगाने लगे।

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