Nitin Gadkari : गत 29 अप्रैल को बिहार के सुल्तानगंज में एक निर्माणाधीन पुल का हिस्सा गिरने के लिए ‘तेज हवाओं’ को जिम्मेदार बताने वाले एक बयान को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आश्चर्यजनक बताया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोई इस तरह के जवाब पर विश्वास कैसे कर सकता है? मुझे समझ में नहीं आता कि तेज हवाओं के कारण पुल कैसे गिर सकता है?
Nitin Gadkari : मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि हवा और धुंध के कारण पुल कैसे गिर सकता है
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने सचिव से इसका कारण पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि ‘ऐसा तेज हवा और धुंध के कारण हुआ था।’ इस पर आश्चर्य जताते हुए उन्होंने कहा कि एक आईएएस अधिकारी इस तरह के स्पष्टीकरण पर विश्वास कैसे कर सकता है? इस दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि हवा और धुंध के कारण पुल कैसे गिर सकता है? जरूर कुछ गलती हुई होगी, जिससे पुल गिरा।’ कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री ने गुणवत्ता से समझौता किए बिना पुलों के निर्माण की लागत कम करने की जरूरत पर जोर दिया।
बताया गया है कि गत 29 अप्रैल को बिहार के भागलपुर के सुल्तानगंज में करीब 1,710 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा अगवानी पुल मामूली सी आंधी नहीं झेल सका और धराशायी हो गया। हालांकि, इस हादसे की वजह से किसी प्रकार के जानमाल के नुकसान की खबर तो नहीं है, लेकिन सरकारी खजाने को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। इस पुल के जरिए खगड़िया से भागलपुर आने के लिए सिर्फ 30 किलोमीटर का सफर तय करना होता। इस पुल की कुल लंबाई तकरीबन 3.160 किलोमीटर है। इस पुल की आधारशिला 23 फरवरी, 2014 को खगड़िया जिले के परबत्ता में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रखी थी। वहीं 9 मार्च, 2015 को मुख्यमंत्री ने पुल निर्माण का काम शुरू करने के लिए उद्घाटन भी किया था। इस पुल के बनने से आम जनता को बड़ी राहत होगी।
अगवानी घाट पुल के सुपर स्ट्रक्चर ढह जाने के बाद जांच के आदेश दे दिए गए हैं। पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि आइआइटी, रूड़की व पटना एनआइटी की टीम संयुक्त रूप से यह जांच करेगी कि पुल के धराशाई होने के पीछे क्या कारण थे। अगर निर्माण में लापरवाही सामने आती है तो हर हाल में इसके लिए दोषी पर कार्रवाई होगी। पथ निर्माण मंत्री ने बताया कि अगवानी घाट पुल के निर्माण को इस वर्ष अक्टूबर-नवंबर तक पूरा किए जाने का लक्ष्य है। विभाग की पूरी कोशिश है कि इस तय लक्ष्य तक ही पुल का निर्माण कार्य पूरा हो जाए।