Pradhan Mantri Ujjwala Yojana 2.0: जून 2020 से रसोई गैस पर कोई सब्सिडी नहीं दी जा रही है, उक्त कथन पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन का है। उज्ज्वला योजना( Pradhan Mantri Ujjwala Yojana 2.0) के तहत मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन पाने वाले केवल 9 करोड़ लाभार्थियों को सरकार रसोई गैस सब्सिडी दे रही है। अन्य लाभार्थियों को बाजार दर पर ही एलपीजी सिलेंडर लेना होगा।
21 मई को ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा उज्ज्वला योजना(Ujjwala Yojana) के लाभार्थियों को सब्सिडी (subsidy) देने की घोषणा की गई । सीतारमण ने एक साल में 12 गैस सिलेंडर पर उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को 200 रुपये प्रति सिलेंडर की सब्सिडी देने के साथ-साथ पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी की घोषणा भी की।
फिलहाल 14.2 किलो वजनी रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 1,003 रुपये है, लेकिन प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के बैंक खाते में एक-एक सिलेंडर की बुकिंग के बाद सरकार 200 रुपये की सब्सिडी भेजेगी। इस तरह उनके लिए एक सिलेंडर की प्रभावी कीमत 803 रुपये होगी।
उज्ज्वला योजना (Ujjwala Yojana) के तहत पंजीकृत नौ करोड़ लाभार्थियों को ही गैस सब्सिडी
हालांकि, उज्ज्वला योजना के तहत पंजीकृत नौ करोड़ लाभार्थियों को ही गैस सब्सिडी मिलेगी। शेष 21 करोड़ से अधिक गैस कनेक्शन धारकों को बाजार दरों पर गैस सिलेंडर खरीदना होगा। इसी कार्यक्रम में पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि सब्सिडी का ढांचा ऐसा है कि समय के साथ कट जाता है। सरकार ने धीरे-धीरे पेट्रोल, डीजल और मिट्टी के तेल पर सब्सिडी खत्म कर दी है। एलपीजी पर भी जून 2020 से कोई सब्सिडी नहीं दी जा रही है। हालांकि सरकार की ओर से एलपीजी सब्सिडी खत्म करने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
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जून 2021 में इसकी कीमत 809 रुपये थी
पिछले एक साल में रसोई गैस सिलेंडर 103.50 रुपये महंगा हो गया है। जून 2021 में इसकी कीमत 809 रुपये थी। पुरी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस के दाम बढ़ने के बावजूद पूरा बोझ गैस उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने इस रिपोर्ट का खंडन किया कि उज्ज्वला योजना (Ujjwala Yojana) के लाभार्थी पहले गैस सिलेंडर (Gas Cylinder) खत्म होने के बाद भरने के लिए कम संख्या में आगे आ रहे हैं।एक साल में सिर्फ एक गैस सिलेंडर भरने वाले उपभोक्ताओं की संख्या वर्ष 2019-20 के 1.81 करोड़ से घटकर 2021-22 में 1.08 करोड़ रह गई है। इसके साथ ही साल भर में प्रति व्यक्ति औसतन 3.68 सिलेंडर की खपत हुई।