जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को राज्यसभा में भेजे जाने या न भेजे जाने की चर्चा इन दिनों जोरों पर है। इसी बीच जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि नीतीश कुमार ही आखिरी फैसला करेंगे। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि जब अनिल हेगड़े के नाम की घोषणा कर दी गई और वे निर्विरोध निर्वाचित भी हो गए तो अब आरसीपी सिंह या अन्य कोई दूसरे उम्मीदवार के नाम के ऐलान में किस बात की देरी? हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नए दावे ने सियासी चर्चा तेज कर दी है।
आरसीपी सिंह की राज्यसभा उम्मीदवारी पर बड़ा बयान
दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए जीतन राम मांझी ने आरसीपी सिंह की राज्यसभा उम्मीदवारी पर बड़ा बयान देते हुए कहा, जो बातें दिखती हैं, वो होती नहीं हैं, और जो दिखती नहीं वो होती हैं। एनडीए इंटैक्ट है, आप लोग भले जो मान लें, लेकिन नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह में एकता है। यह समय आने पर दिख जाएगा। नहीं भेजने का क्या औचित्य है? आप लोग देख लीजिएगा वही राज्यसभा जाएंगे।”
दरअसल, हाल के दिनों में यही खबरें आम हैं कि आरसीपी सिंह और नीतीश कुमार के बीच संबंध पहले जैसे सहज नहीं हैं। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से भी आरसीपी के रिश्ते अच्छे नहीं रह गए हैं. ऐसे में बिहार में सियासी चर्चा यही चल रही है कि शायद आरसीपी सिंह को इस बार जदयू की ओर से राज्यसभा नहीं भेजा जाएगा, लेकिन दूसरी बात यह भी कही जाती रही है कि आरसीपी सिंह और नीतीश कुमार के रिश्ते ऐसे विवादों से बहुत परे और बेहद गहरे हैं।
वहीं, दूसरी ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में आम धारणा यही है कि वे हमेशा ही स्वतंत्र फैसले लेते हैं। उन्होंने अपने कई एक्शन से दिखाया भी है कि वह अपने मन की करते हैं। मगर हकीकत यह भी है कि उनके मन में क्या चल रहा है, इसके बारे में बेहद नजदीक के लोगों को भी आखिरी वक्त तक पता नहीं चलता है, मगर आरसीपी सिंह की उम्मीदवारी को लेकर जीतन राम मांझी के इस दावे में कितना दम है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।