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अपना एक घर बनाना हर किसी का सपना होता है। वह घर ही है, जहाँ आप चैन के सो सकते हैं और अपने परिवार के साथ खुशियां पा सकते हैं। जब अपना घर बनवाने की बात होती है, तो हर कोई यह चाहता है की उसे अच्छा कारीगर और मजदूर मिलें, जो उसके घर को अच्छा और पक्का बना दें। कुछ कारीगर और इंजीनियर कही कभी ऐसा घर या इमारत बना देते हैं, जो मिसाल बन जाया करती है। लोग दूर दूर से देखने आते हैं और वैसा ही घर बनवाना चाहते हैं।

एक किस्सा ऐसा ही बिहार से आया है, जहाँ एक मजदूर ने ऐसा मकान बनाया है, जिसमें ईंट का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया गया। बताई गई डिज़ाइन के आधार पर बिना ईंट का यह पहला पक्का मकान (Home without Bricks) है।

इस अनोखे मकान में ग्राउंड फ्लोर के कमरे सहित तीन कमरे और एक बरामदा भी बनाया गया है। इस मकान की हर दीवार 4 से 5 इंच मोटी है। यह घर एकदम आपकका बना हैं। इसे छत की तरह ढलाई कर बनाया गया है।

बिहार में भागलपुर के पास घोघा में इस मजदूर ने बिना ईंट का मकान बनाकर सभी को हैरान कर दिया है। अब यह ब्रिक्सलेस मकान (Bricks Less House) क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसे दूर-दूर से लोग देखने आ रहे हैं और इनकी सिविल इंजीनियरिंग (Civil Engineering) को समझना चाह रहे हैं। लोग इसे बनाने की तकनीक को समझने के लिए घर के मालिक और मज़दूर से संपर्क साध रहे हैं।

गणपत शर्मा ने हमारे एक सहयोगी पत्रकार को बताया कि इस तकनीक से घर बनाने की लागत भी 30-35 प्रतिशत तक कम आई है और बहुत खर्चा बच गया। इस मकान के निर्माण में 18 महीने का समय लगा हैं। इसके निर्माण मे किसी भी इंजीनियर, आर्किटेक्ट, राजमिस्त्री, मजदूर व अन्य लोगों का सहारा नहीं लिया गया है। परिवार के लोगो ने भी काम में हाँथ बताया है।

यह एक स्वनिर्मित मकान है। इस मकान के दरवाजे और खिड़कियों के चौखट भी लकड़ी के बजाय सीमेंट व रेत से बनाये गए हैं। मकान मालिक का कहना है की अधिक से अधिक लोग इस तकनीक का इस्तेमाल करें, जिससे अतिरिक्त खर्च ना आये। वे लोगों को इस बारे में जानकारी भी दे रहे हैं और फ्री में परामर्श मुहैया करवा रहे हैं।

उनके क्षेत्र में ईंटों की किल्लत और महंगाई के चलते गणपत के मन में ‘ब्रिक्‍सलेस’ मकान (Bricks less Home) की बनवाने का ख्याल आया। गणपत शर्मा कहते हैं कि वे हमेशा कुछ ना कुछ नया करने की सोचते रहते हैं। वैसे हम लोग कटाव पीड़ित हैं, हम लोगों का पुराना घर दिलदारपुर दियारा में था, जो 10 वर्ष पूर्व नदी में समा गया। जिससे भरी नुक्सान हुआ। दियारा में मकान बनाने के लिए ईंटों की उपलब्धता नहीं हो पाती है। इसलिए दियारा के लोग बांस के इस्तेमाल से कच्चे मकान बनाकर रहते हैं।

इस कमाल की बनावट में उन्होंने आंगन की सभी दीवारों का 5 फीट हिस्सा पीलर ढलाई के तरीकों से बिना ईंटों के बनाया। यह प्रयोग सफल रहा। तभी उनके मन में यह तरकीब आई कि सख्त जमीन पर इस तरह के प्रयोग से पूरा मकान ही बनाया जा सकता है। घोघा आकर उन्‍होंने इस तकनीक का प्रयोग कर मकान बनाने में कर दिया, जो सफल रहा। अब इस अनोखे घर को देखने दूर दूर से लोग आ रहे हैं।

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