भारत की सड़कों पर एक बार फिर एम्बेसडर कार दौड़ती देखी जाएंगी। कंपनी की तरफ से वापसी का फैसला लिया गया है।
एक वक्त ऐसा था जब एम्बेसडर कार को भारतीय सड़कों का बादशाह कहा जाता था। पूरे देश में 70% से अधिक कारें एंबेसडर की हुआ करती थी। प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जज से लेकर जिलों के कलेक्टर तक इसी गाड़ी में चला करते थे। लंबे अरसे तक इसे सरकारी गाड़ी की तरह दर्जा हासिल था, लेकिन बाद में अन्य कंपनियों के मार्केट में आने के बाद इसकी चमक फीकी पड़ती गई और कुछ वर्ष पूर्व यह मार्केट से ही गायब हो गई।

एम्बेसडर गाड़ी में 1800cc से अधिक का पावरफुल इंजन
इस गाड़ी में 1800cc से अधिक का पावरफुल इंजन था। इसका इंजन आज के कई एसयूवी गाड़ियों के मुकाबले का था। हिंदुस्तान मोटर्स कंपनी द्वारा बनाई जाने वाली कार 1958 से मार्केट में आ रही थी। लंबे अरसे तक पूरे मार्केट में 70% इस कंपनी के पास था, लेकिन 1983 के बाद जब मारुति ने 800 सीसी की छोटी और कम कीमत की गाड़ी बनानी शुरू की तभी से इस कार के बुरे दिन शुरू हो गए। फिर यह सरकारी गाड़ी की तरह बन कर रह गई, जो अधिकारियों द्वारा यूज़ की जाती थी। अंततः 2014 में कंपनी ने घाटे का हवाला देकर प्रोडक्शन बंद कर दिया।
हिंद मोटर फाइनेंशियल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (HMFCI) और फ्रांस की कार कंपनी Peugeot इसके डिजाइन और इंजन पर काम कर रही हैं। एंबेसेडर का नया मॉडल हिंदुस्तान मोटर्स (HM) के चेन्नई प्लांट में बनाया जाएगा। यह एक इलेक्ट्रिक कार होगी। नए अवातर में इसे एंबी नाम से जाना जाएगा और यह अगले दो साल में सड़कों पर आ सकती है। HMFCI सीके बिड़ला ग्रुप (की कंपनी है। एचएम इसी कंपनी के अंडर काम करती है।
दोनों कंपनियां मिलकर इलेक्ट्रिक वाहन सेगमेंट में एंट्री करने जा रहे हैं। मौजूदा प्रस्तावित ढांचे में, हिंदुस्तान मोटर्स की 51 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी और यूरोपीय ब्रांड के पास बची हुई 49 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी।